शनिवार, 12 जुलाई 2014

रात भर नींद मुझको है आती नहीं

याद तेरी जो दिल से है जाती नहीं
रात भर नींद मुझको है आती नहीं

है मुझी से मुहब्‍बत मुझे ना पता 
करती मुझसे मुहब्‍बत बताती नहीं

हर जगह एक चेहरा ही दिखता मुझे
और किसी की छवि मुझको भाती नहीं

इस क़दर दिल से मुझको सताती है वो
रूठता हूं जो मैं तो मनाती नहीं







2 टिप्‍पणियां:

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  2. मोहब्बत कि डगर पे न चलो इस कदर
    कि भुला तुझे खुद तेरा आयना
    भाव को बहने दे बहुत बहने दे
    मगर न इतना कि बन जाये कहर



    बहुत खूबसूरत
    रातें आपकी
    संग रहती तो है भोर तलक

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