थिर- थिर स्थिर नयन औ' चपल चारु उद्वेलित मन
घायल जनचित्त होते देखा पड.ती जब तिर्यक चितवन
सुधा लिये फिरती निर्मल कोमल घट तिमिरांचल में
बन भ्रमर भ्रमण करते कितने पाने को मधु उपवन -उपवन
वक्र वलय-सी देहयष्टि सुन्दर ही नहीं वो सुन्दरतम
घन केश पाश जो लास करे कोमल ही नहीं वो कोमलतम
है वीणा के तानों-सी वाणी मघुर-मलय-मिश्रित-सुरभित
सुन्दर कोमल मघुर योग वो प्रिय नहीं वो है प्रियतम
लाजवंति-सी लज्जित हो है डाल शब्द का अवगुण्ठन
कर सोलह सिंगार पहन धानी चूनर-सा पैरहन
हो रहे चकित हैं लोग देख सौन्दर्य तडि.त-सा उज्ज्वलतम
मैं कहता 'कविता' है मेरी जग कहता है है दुल्हन
वक्र वलय-सी देहयष्टि सुन्दर ही नहीं वो सुन्दरतम
घन केश पाश जो लास करे कोमल ही नहीं वो कोमलतम
है वीणा के तानों-सी वाणी मघुर-मलय-मिश्रित-सुरभित
सुन्दर कोमल मघुर योग वो प्रिय नहीं वो है प्रियतम
लाजवंति-सी लज्जित हो है डाल शब्द का अवगुण्ठन
कर सोलह सिंगार पहन धानी चूनर-सा पैरहन
हो रहे चकित हैं लोग देख सौन्दर्य तडि.त-सा उज्ज्वलतम
मैं कहता 'कविता' है मेरी जग कहता है है दुल्हन
Epic poet...I have an idea...just make a video file and upload it on Youtube platform. Thanks
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